मन गया, फिर तन गया,
जाने कब हुई भूल,
जीवन है एक फूल ओ राही जीवन है एक फूल
रंग-बिरंगी विषयी कामना, जीवन को उलझाए
चमकीली सी राह जगत की, मन को यूँ भटकाए।
राग रागनी मोह जाल की, आडंबर की धूल।
(2)
गगन को चूमें धरा का पंछी
नैन बंद इठलाए,
भोग जाल में रमाए जीवन,
मन ही मन हर्षाए।
द्वंद्व मचा है तन और मन का
अंतस में है शूल
ये जीवन है मधुबन तप का, सुमन पवन लहराएँ,
भाव भूमि पर चलकर जग में, आशादीप जलाएँ।
संवर्धन के समय चक्र में, जाए न इन्सां छूट